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Friday, 29 April 2022

FLAT : A SILENT STORY 3


FLAT : A SILENT STORY 3



TO BE CONTINUED*


एक बार पुनः आत्मा-आह्नान की क्रिया आरंभ हुई और आशा के अनुरूप इस बार कोई मश्क्कत तक न करनी पड़ी । आत्मा वहां पहले से ही मौजूद थी । 
आपने मेरा कार्य कर दिया ?
आपका बदला पूरा हुआ श्रीमान् ।
एक आत्मा की अपनी कुछ सीमाएं हैं अन्यथा यह हत्या मैं करता । आपका यह एहसान मैं जिंदगी भर ..ओह सॉरी, अब जिंदगी है ही कहां कि ..। - आत्मा ने पशोपेश में पड़ते हुए उत्तर रोक दिया । अब बारी जीन के कार्य की थी - एहसान अलग होता है, ये सौदा था । इसके लिए शुक्रिया अदा करने की कोई जरूरत नहीं । अच्छा हो, यदि आप मेरे नेक कार्य को अंजाम तक पहंुचा दें । 
ओह, मैं तो अपनी खुशी में आपका कार्य भूल ही गया था । आप बेपिफक्र रहिए । अपने वादे पर मैं अब भी कायम हूं ।
अब आप वादा पूरा करें ।
एक शर्त है ।
अब भी शर्त ..। - एकबारगी जीन को महसूस हुआ कि उसे ब्लैकमेल किया जानेवाला है, मगर अगले ही क्षण आदि ने उसका तनाव दूर कर दिया - अर्ज ही समझिए ..।
आप हुक्म कर सकते हैं ।
आपके खजाने का एक हिस्सा मेरे उपर खर्च करना होगा ।
आपको खजाने से क्या काम? आपकी तो मृत्यु हो चुकी है । - एक बार पुनः जीन को विस्मित होना पड़ा ।
आपने मेरा मतलब नहीं समझा । अभी तक मेरा दाह-संस्कार नहीं हुआ है । आप यह विध्वित करा दिजीएगा तो मैं सुखपूर्वक प्रेतयोनि का त्याग कर सकूंगा । अबतक मेरी आत्मा जो भटक रही थी, उसे शांति तो मिली मगर इसे मुक्ति की भी तलाश है ।
अरे, मैं तो कुछ और ही समझ बैठा था । अगर ऐसा करने से आपको सुख प्राप्त होगा तो निःसंदेह मैं ये करने को तैयार हं  । आप निश्चित रहें ।
और जीन के उत्तर पर तुरंत प्रत्युतर मिला । 
अब आप खजाने का पता ले ही लिजीए, क्योंकि खुशी के उद्देश्य में मैं भले ही इतनी देर टिक गया मगर सच तो यह है कि मुझे बहुत कष्ट हो रहा है ।
आप अपनी बात जल्द कहिए ।
आपको भी जल्दी है और मुझे भी । अच्छा ही है - दोनो चलें । - आत्मा निर्णायक मोड़ पर आ गई । अब सिर्फ पता लिखा जाना ही शेष था । 
इसी बीच अचानक खुले द्वार को खोले जाने के दरम्यान हुई आवाज ने इनकी तन्द्रा भंग कर दी । उस शख्स को जिसे जीन ने मृत मान छोड़ दिया था, बाएं हाथ से पेट तथा दाहिने हाथ में खंजर पकड़े द्वार पर खड़ा था । आन बिना कोई अवसर दिए आसन पर बैठे जीन की ओर लपकता हुआ दौड़ा । अब आसन पर बैठा रहना खतरे से खाली न था । आसन छोड़ उठते-उठते जीन को आन ने कॉलर के पास पकड़ते हुए धर दबोचा । उस शख्स की मृत्यु समीप थी और यह जानते हुए कि यह सबसे अहम् मोड़ है, पकड़ उससे भी कहीं ज्यादा दृढ़ । एकबारगी भीड़ चुके जीन को बौखलाए आन के इरादों ने ही इतना डरा दिया था कि जितना वह उसे उसके सही होने सलामत में निर्भय हेकर लड़ा, वहीं अब उस शख्स से जो कि अब-तब मृत्यु के समीप था से भिड़ते हुए डर रहा था । आखिर यह आन का जुनून ही था जिसने उसे डरा दिया । अनहोनी के बीच में क्या होना था, यह अगले पल में छुपा था । और अंततः उठा -पटक के बीच आन की शक्ति ही जवाब दे गई । उसने अंतिम हाथ उसके मुँह पर मारा जिससे जीन नकाब उतरता चला गया और आन जमीन पर गिरता । 
अरे, जैस्मिन तुम - और टाइपराइटर पर आदि ने उसे पहचानते हुए उसके अबतक के नकाबपोश होने के रहस्य को पकड़ लिया । आन ने गिरते वक्त जब उसका नकाब उतरता चेहरा देखा तो फटी आंखों से देखता जमीन पर गिरा और आंखें मूंद लीं ।
अच्छा, तो तुम जिंदा हो जैस्मिन ! आज मानता हूँ कि तुमसे ज्यादा मक्कार इस दुनिया में कोई और नहीं । एक बार फिर तुमने मुझे झूठ में फंसा ही लिया । एक टाइपराइटर ही उनके बीच बातचीत का माध्यम था । अबतक जैस्मिन भी अपने कुटिल अंदाज में आ चुकी थी । उसने लबादा उतर दिया और लट बिखरा लीं । उसकी तंत्र सुरक्षा-चक्र के मध्य स्थित होने के कारण उसे डर की कोई बात भी न थी । अतः आन की ओर एक जहरीली, उपहासित व्यंग्य-वाण फेंकते हुए उसने पुनः पुर्ववत आसन ग्रहण कर लिया । आदि जारी था - अब भी तुम उतनी ही सुंदर और जवान लगती हो ..और उतनी ही कातिल भी । और कितने कत्ल करोगी जहरीली नागिन ..और अब चुडै़ल, डायन भी ।
बकवास बंद भी करो आदि । आज दूसरी बार खजाना पाने का मेरा प्रयास असफल हो गया । आन की कमान तो मैंने खींच ली, अब तुम्हारी बाकि है । - अब टाइप पर जैस्मिन के हाथ पडे़ । 
अरे मूर्ख औरत, मेरी कमान तुम्हे जितनी खींचनी थी सो तुमने खींच ली । आज फैसले की घड़ी है । 
अब यह अलग बात है कि आवरण के अंदर रहने पर तंत्र-विद्या के बल पर मैंने, खुद को तुम्हारे द्वारा पहचाने जाने से बचा लिया था । इसपर भी दुर्भाग्य ने मेरे साथ करे-कराए पर पानी फेरते हुए मुझको निवारण कर दिया । अगर ऐसा न होता तो तंत्र-शक्ति के बल पर आवरण के अंदर छुपे चेहरे को तुम न पकड़ पाते ।
आदि ! अक्ल के कम तो तुम सदा से रहे हो । आज भी यदि तुमने अक्ल से काम लिया होता तो कम-से-कम पहला प्रश्न ये जरूर करते कि तुमने अपना चेहरा मुझसे छुपा क्यों रखा है ? और बातें छोड़ो । इस वक्त भी तुमने जिस तरह कम अक्ल का परिचय देते हुए मेरी सारी कहानी पर भरोसा कर लिया, और उसे जांचने की जरूरत तक न समझी । वह मेरी संभावित सफलता का जरूरत तक न समझी । 
अगर मैं कहूँ कि मैंने तुम्हारी कहानी के अनुसार जांच की थी तो ..।
और यदि मैं ये कहूं कि वह जांच तुमने मेरे घर में रखे मेरे फोटो पर पड़े एक पुराने श्रद्धांजलि माले से की होगी तो मैं दिखी तो हूंगी नहीं इसलिए तुमने मुझे मरा मान लिया होगा । 
उस मौत की नकली घटना को अब सच्ची ही मान लो । अब वह माला वहां टंगी ही रहेगी ।
अरे, बेअक्ल । इतना तो दिमाग लगाया होता कि मैंने तुमसे संपर्क स्थापित करने में सात वर्ष क्यों लगा दिए ? इन सात वर्षों में जादू-टोनों में विश्वास करनेवाली तुम्हारी जैस्मिन ने न सिर्फ काला जादू सीखा, वरन् तंत्र-मंत्र के कई क्षेत्रों में सि(स्त भी हो गई । और वह सिर्फ इसलिए कि तुम्हारे द्वारा खजाने को पा सकूं । इस खजाने का सही स्थान सिर्फ तुम्ही जानते हो और शायद विधाता ने भी तुम्हे ही चुना है बताने के लिए । इन जादू-टोनों की काई सीमा नहीं, मगर मैंने जो हासिल किया हे उसकी एक सीमा है । इसी सीमा के तहत मैं अन्य आत्माओं से यह करवानें में समर्थ नहीं हंू और जाने कबतक समर्थ होउ भी । इतने दिनो के इंतजार के बाद मेरे सब्र का बांध् टूट गया है, और इसी कारण मैंने यह खेल रचा । अब बहुत हुआ सब्र का इम्तहान और बदकिस्मती का खेल । 

और यही हुआ होगा क्योंकि जब तुम उसके कत्ल के इरादे से घर के पास पहूँची तबतक वह यहां टाइप के सारे कागजों को पढ़कर यथावत् रख चुका था । इसे मैं इसलिए भी कह सकता हंू क्योंकि जब मैं दोबारा यहां आया तो सबकुछ पहले-सा व्यवस्थित नहीं लगा ।
इसका मतलब वो शुरू से ही मेरे पीछे था ।
और यदि मैं गलत न हूं तो उसके हाथों कत्ल की बारी तुम्हारी थी, जो अब मेरे हाथों होगी ।
अपने ख्वाब को गुलदस्ते में सजाओ । अब बारी युद्ध की है ।
आन तो मुझसे भी ज्यादा बेवकूफ निकला । अगर तुम्हारा जान लिया तो रिस्क क्यूँ लिया? आदि कुछ क्षणों के लिए क्षण भर पहले के तारतम्य में उलझ गया । 
अरे बेवकूफ, तुम्हारी मौत के समय के बाद मिली असफलता ने हमारे विश्वास को कभी जमने ही नहीं दिया । अब ये कह सकते हे कि पहले तुम्हारे साथ समूल फिर तुम्हारे बिना निर्मूल शंका के मध्य  झुलते उसने आज इन पप्पों पर सत्य देख लिया होगा । - अपनी किस्मत को कोसती जैस्मिन ने आगे की ओर रूख किया- ओह ..एक छोटी-सी भूल या बड़ी-सी बदकिस्मती क्या कहूँ ने सारा खेल चौपट करके रख दिया । आखिर मैं उसे बेहोश कर यहां क्यूँ न आई ।
आन के शरीर से लहू फर्श पर पसर रहा था । आदि ने क्रम जारी रखा - आज की रात यदि खत्म हो गई तो फिर तुम कब्जे में नहीं आनेवाली । इस दृष्टिकोण से यह रात मेरे लिए ज्यादा महत्वपूर्ण है । 
..और मैं कब्जे में आनेवाली नहीं । 
मैंने एक पाप किया था, उसकी सजा मुझे मिल गई । एक विवाहित स्त्राी से आकर्षण और किसी का घर तोड़ना, उसकी सबसे अच्छी सजा शायद यही थी । अलबत्ता मुझे मारनेवाला भी मारा गया, मगर हम दोनो को तबाह करनवाली सबसे निकृष्ट पात्र जैस्मिन तुम आज जिंदा नहीं लौट सकती ।
आज पाप-पुण्य नहीं फैसले की घड़ी है । अवसर तलाशने की जगह मेरा कार्य आसान कर दो तो शायद तुम्हारी आत्मा को कष्ट न झेलना पड़े ।
अबतक जैस्मिन खुद को तंत्र-वार के लिए तैयार कर चुकी थी । 
इतने दिन तक ही आत्मा के कष्ट के दिन थे । ..आज तो इसके निवारण का दिन है ।
एक खामोश मगर प्राणघातक युद्ध टाइपराइटर के माध्यम से चल रहा था । एक अनूठा, अलग और अचंभित कर देनेवाला वह युद्ध जिसमे खामोशी श्क्ति थी, आत्म-शक्ति अस्त्र और टाइपराइटर उनके शब्द । अगर उनके बीच टाइपराइटर द्वारा बात की क्रिया-प्रतिक्रिया चल रही थी तो सिपर्फ इस कारण कि दोनो अपने-अपने अवसर की तलाश कर रहे थे । एक वैसा अवसर जिसका पूर्ण उपयोग कर एकबारगी ही इस किस्से को खत्म कर देना था, क्योंकि इसे खींचने का दोनो के पास कोई कारण न रह गया था । आदि को मालूूम था कि आज ये बच निकली तो पिफर उसके लिए कभी कोई अवसर नहीं है । इसके साथ ही उसे यह भी मालूम था कि यदि उसने तंत्र-मंत्र आरंभ कर दिया तो भले ही वह उसे हरा न पाए, मगर इतना भी लगभग तय है कि इस युद्ध को वह सुबह तक खींच लेगी । और रात बीतने के साथ ही हार-जीत भले किसी की न हो, मगर उसे भागने का अवसर अवश्य मिल जाएगा । इसलिए जो भी अवसर था तंत्रा-वार से पहले, और इसे उसने तलाश लिया था । 
अगर सुबह हो गई तो तुम निकलोगी, और मेरे पास जो भी अवसर है तुम्हारे तंत्र-वार से पहले । अगर यह वार तुमने कर दिया तो युद्ध को सुबह तक तो खींच ही लोगी, ..और सुबह यानि तुम्हारा भागना ..। ओह जैस्मिन ..कितनी भाग्यशाली हो तुम, या फिर दुर्भाग्यशाली कि मेरे पास तुम्हारे तंत्र-वार से पहले का अवसर मौजूद है । डूबने से पहले ही उसके शरीर पर अधिकार जमाना आसान है । अवचेतन मन में विरोध् की तनिक भी शक्ति नहीं है और यही मेरी शक्ति है । एक सामान्य व्यक्ति के शरीर में प्रवेश जैसे किसी घर में घुसने से पहले से उसके विरोध से गुजरना पड़ता है । मगर मरणासन्न या अंतोत्गत्वा व्यक्ति के शरीर में चूंकि यही अवचेतन मन जब निष्क्रिय होने लगता है तो इसकी विरोधत्मक शक्ति खत्म होने लगती है, इसका ताला खुल जाता है और यह बिना ताले का - खत्म होने का अभिप्राय होता है ताला टूटना, ताला, खुलना जिससे शरीररूपी आत्मा बगैर विरोध् अंदर जा सकती है । इसे तुम तो समझती ही होगी जैस्मिन !
एक बार मरा हूँ ..आज दूसरी बार भी मरूंगा, मगर तुम्हारे साथ । - आदि की इन बातों को जैस्मिन जबतक सझमती आदि ने मरने-मारने का पैफसला कर लिया था, अतः डर कैसा था । इस ओर जैस्मिन लपकते हुए तंत्र-घेरे की ओर उठी,उधर आदि ने जकड़ लिया और अब दोनो एक बंध्न में थे । आग बढ़ती जा रही थी, जिसने दुपट्टे को भी अपनी लपट में ले लिया, मगर आदि उसे बाहों में लिए चाह रहा हो । आग बढ़ी और जैस्मिन की तड़प भी, मगर आदि उसे बाहों में लिए एकटक देखता हुआ उसे मुस्कुराता रहा । आन की बाहों में आदि की आत्मा को संतुष्ट करती जैस्मिन बढ़ती आग के बीच छटपटाती-तड़पती रही और वहीं आदि इस जलती चिता के मध्य अपने पूर्ण होते बदले को जुनूनी आंखों से भावों से देखता रहा । आग जलती रही जलाती रही, वह देखता रहा देखता रहा, तबतक जबतक कि जिस्म शोला न बना, जिस्म कोयला न बना, जिस्म राख न बना, जबतक कि फैसला न हो गया । उस दिन - उस रात, ..उस फ्लैट में !









*A Beautiful Series* By Amit Kumar Naynan*

*Coming Soon*

CONFIRMATION

''AMIT KUMAR NAYNAN'' IS DEDICATED TO SERVE ART FIELD AS FOREVERY & TO PRESENT EVERYTIME NEW TYPE STORY OR STORY FORMAT ALSO AS EVER. SINCE BRAIN HAS UNLIMITED POWER TO CREAT UNLIMITED POSSIBILITIES SO REGULER FORMAT IS UNDERESTIMATE THE BRAIN'S POWER.
AMIT KUMAR NAYNAN IS EXPERIMENTAL WRITER AND KNOWN AS TO PRESENT NEW STORY OR NEW FORMAT SPECIALY AT ART AND WRITING FIELD.
FLAT IS HIS NEXT PRESENTATION ABOUT IT. FLAT IS NOT ONLY SINGLE STORY BUT ALSO A NEW STORY SERIES. + SPECIALY EVERY STORY IS EXPERIMENTAL AND IT IS NOT ONLY ON STORY BASE. EVERY STORY'S PRESENTATION STYLE IS TOTALY DIFFRENT. EVEN IF SOMETHING CLUE IN HEADLINES BUT IT WILL ALL CLEAR WHEN WILL READ ALL CUM FULL STORY. 

FLAT

'FLAT' IS A STORY SERIES. IN MAIN LEAD FLAT OR FLAT TYPE OR AS ONE OR ANY ONE PARTICULAR LOCATION MAINLY LEAD THE STORY, STORY RUNS THROUGH THAT LOCATION OR THAT LOCATION BECOMES THE STORY'S CENTRELINE OR HEADLINE*
ENJOY FLAT STORY S FIRST STORY*


FLAT - A SILENT STORY

1


2

3


FLAT - A HORROR STORY

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FLAT - MUSAFIR

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FLAT - DHUNDH

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FLAT - CHESS

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FLAT

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