Wednesday, 2 April 2025

'THEGREATGOD' 'अब/AB' 1

THE GREAT GOD

BY

AMIT KUMAR NAYNAN

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इस कहानी की शुरूआत उसी दिन हो गई थी जब हम अस्तित्व में आए और हमारा जन्म हो गया, और जब हम अपने जन्म का कारण ढूंढने निकले उसी दिन उसी पल ईश्वर का भी जन्म हो गया !

ISS KAHAANEE KI SHURUAT USEE DIN HO GAI THI, JAB HUM ASTITAV MEIN AAE AUR HAMAARA JANMA HO GAYA ...AUR JAB HUM JANMA KA KAARAN DHOONDHNE NIKLE ...USEE DIN USEE PAL "ISHWAR" KA BHI JANMA HO GAYA !

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अश्वमेध विश्व विजय MAHAअभियान

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इस महायात्रा की गूंज दूर-दूर तक पहुंचने लगी थी । आप जब गली-कूचों से विश्व लांघ जाते हैं विश्व-प्रसिध हो जाते हैं । मगर जब विश्व की गलियों में पहुंच जाते हैं आप विश्व-विजेता बन जाते हैं !

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TO BE CONTINUED ---

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''आरंभ''

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''आरंभ''

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अब

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अब

एक नव+विधा

तिथि 1 स्थिति 1

02.04.2025 ई0

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प्रिन्ट वर्सन

डिजिटल वर्सन

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AB

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AB

VIDHA

DAY 1 POSITION

02.04.2025 A.D.

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मैं न गद्य में न  पद्य में न छंद में न द्वंद में ..कला की नई विधा अब में अपना अवतरण करता हूं ...

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अब Bhasa aur कला का नरसिंहावतार है 


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'अब/AB

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''SPECIAL''

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ईश्वर के बारे में भाषा, कला, लेखन आदि की तमाम विधा और विधा के तमाम प्रचलित रूपों में द ग्रेट गॉड का अवतरण सम्पूर्ण व्याख्या व्यक्त करने में अपूर्ण प्रतीत हो रहा था इसलिए एक नई विधा की जरूरत पड़ी । अब विद्या की विधा में एक नई विधा का जन्म है ।! आवश्यकता आविष्कार की जननी है ।। यद्यपि यह विधा भी मात्र विधा के मानकों का विस्तारवाद है तथा यह सोच और दृष्टि तथा समझ और विवेक को विस्तार दे सकता है । मगर ईश्वर की सम्पूर्ण व्याख्या नहीं कर सकता । यह क्या कोई भी ईश्वर की सम्पूर्ण व्याख्या शायद या नहीं ही कर सकता है । मगर इस नहीं में हां की गुंजाइश यह बनती है कि हम अपनी सोच वगैरह के तमाम आयाम को विस्तार देकर उसके विराट स्वरूप को समझने का प्रयास कर सकते हैं । इसलिए इसी प्रयास की दिशा में यह एक नवीन प्रयोग और आविष्कार है । यद्यपि यह कहानी और इस कहानी में खोज, प्रयोग, आविष्कार की बानगी है । क्योंकि ईश्वर की खोज में इनकी एकल या समग्र शक्ति भी ईश्वर की खोज के लिए कितनी शक्तिशाली है’ हम स्वयं समझ सकते हैं । अतः अपनी समझ को विस्तार देते हुए भाषा  और कला की नई विधा अब का आनंद लिजीए !

अब क्या है ! अब एक नई विधा है: अब भाषा विधा है । अब लेखन विधा है । अब कला विधा है । अब अभिव्यक्ति की नई नवीन विधा है । यह भाषा, लेखन, कला के प्रचलित मानकों से इतर अपने नवीन अंदाज के साथ प्रस्तुति करती है ।

इसके बारे में बताने से अच्छा है, इसे स्वयं ही देखा जाए । क्योंकि जहां प्रचलित नियम बिखरेंगे वहां अपने आप नए नियम बनेंगे और इसी के साथ अब का अवतरण होता जाएगा ।।

विद्या की दुनिया में प्राचीन और नवीन के संगम से एक नई अभिव्यक्ति विधा अब का जन्म अपूर्व है ! अद्भुत है । अभूतपूर्व है !

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TO BE CONTINUED ---

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THE GREAT GOD

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