Monday, 2 May 2022

Sunday, 1 May 2022

SUNDARI


 Published In A Known Magzine Years Ago

REAL CREDITS

 *REAL CREDITS is Column about Similarity by Co-Incident, Intentionaly, Intentionaly ..All About*

EXAMPLE 1

HAWA HAWA song sung by pakistaanee singer hasan jahangir was originaly sung by A Iranian Singer kouros yougmai & it was A Iranian Song Havar Havar*

https://m.youtube.com/watch?v=-fNW8OrEsn0Havar havar

https://www.youtube.com/watch?v=-fNW8OrEsn0&pp=ygUcaGF2YXIgaGF2YXIga291cm9zaCB5YWdobWFlaQ%3D%3D


https://m.youtube.com/watch?v=psYgmvgTJuwHawa Hawa

https://www.youtube.com/watch?v=psYgmvgTJuw&pp=ygUOaGF3YSBoYXdhIHNvbmc%3D


ONE MORE

https://www.youtube.com/watch?v=NZozbrykYKI&list=RD-fNW8OrEsn0&index=2&pp=8AUB


It column is not compailing, blaming anyone only talking about similar truths happened one same or more other time ..


What is diffrence between inspiration, adoption, thiefing ...?

Inspiration means with transformation effect something in other someone

Adoption means a lumsum copy version or maximum level of something in someone

Stealing or theifing is totally diffrent. It is a copy version of something in someone on any level without first ones permission is called theifing or stealing


Inspiration is good

Adoption is good

Stealing & theifing is not good

It is totaly clear*


In All Examples,

What is inspiration, adoption, stealing or theifing or else ..is to be deciding factor,

At Start

It should be left on audience and readers and public*

Monday, 25 April 2022

FLAT : 1 : A SILENT STORY*

*AMIT KUMAR NAYNAN*



Flat : 1 : ए साइलेंट स्टोरी


एक सरकारी फ्रलैट - अब यहां कोई नहीं रहता । इसमे कभी आदि नाम के वन्य-कर्मचारी का वास हुआ करता था, मगर सात वर्ष पहले अचानक ही वह इसे छोड़कर न जाने कहां चलता बना । चूंकि यह फ्रलैट पहले से ही जीर्ण-शीर्ण था और सरकार ने वहां से कुछ दूरी पर नए फ्रलैटों के लिए भूमि आवंटित कर दी थी, अतः इसे उपेक्षित कर दिया गया था । और अब यह सिपर्फ कभी-कभार आ गए अतिरिक्त अतिथियों के लिए ही प्रयुक्त होता था । मगर इसे विडंबना ही कहिए कि इस फ्रलैट में सात वर्षों में सात अतिथि भी न आए थे, इसलिए यह खुद में जंगल का एक हिस्सा ही लगता था । पिछले दो वर्षों से तो इसे कोई देखने भी न आया था, इसलिए इसके रख-रखाव की तो कल्पना ही की जा सकती है - उपेेक्षित या पूर्णउपेक्षित ।


आज बहुत दिनों बाद कोई मेहमान, वो भी आध्ी रात को इस ‘फ्रलैट’ की ओर बढ़ रहा था । तकरीबन दो वर्ष बाद किसी अतिथि का इस तरह आगमन हुआ था । इससे पहले फ्रलैट को इस तरह के विचित्रा अतिथि से कभी मुलाकात न हुई थी । 

इस पूर्ण अंध्कार अर्थात अमावस की रात में उस अतिथि को काले लबादे से सिर से पैर तक ढंका जिस्म अंध्कार को और गहन बना रहा था । अंध्ेरे को जिस्म का लबादा बढ़ा रहा था या जिस्म समेत लबादे को अंध्कार अपनी आगोश में ले रहा था, कहना मुश्किल था ।

उपेक्षित मकान का खुला होना न होना बराबर होता है । इस साये के हाथ के हल्के दबाव से दरवाजा खुलता चला गया, अंदर अंध्कार गहन अंध्कार । उसकी आंखें चमक रही थीं, शायद किसी चीज की प्राप्ति की मंशा लिए - मगर क्या ? उसे किस चीज की आश थी या तलाश, कहना मुश्किल था । 

अमावस की रात तो यंू ही काली होती है, उफपर सरलता तो दूर किसी भी तरह के अनुमान के सहारे भर घुसना मुश्किल था, जिसका वो साया अबतक उपयोग करता आया था । अनुमान के सहारे परिचित रास्ते पर बिना रौशनी के आने के पीछे उसकी ये मंशा निश्चित रूप से ही होगी कि कोई गलती से भी इस ओर आता न देख लें । अबतक की उसकी योजना के अनुरूप सबकुछ सही था ।  

अंदर कदम रखते ही उसने हाथ में मोमबती जला ली । अब कमरे में सबकुछ स्पष्ट दिख रहा था । जो अध्कितर जगह था मगर कमरे के बीचोंबीच इसके उलट दीख रहा था । उस कमरे का वही भाग वहां यानि एक निश्चित दूरी तक साफ था और इससे भी बड़ा आश्चर्य था बीच फर्श पर एक टाइपराइटर का होना । एक पतले चादर पर रखा वह टाइपराटर स्थिति को और भी रहस्यमय बना रहा था । उस चादर का एक भाग बैठने भर घूटा भर था, जहां जाकर साए ने जगह ली । 

अब उसने पूरे कमरे पर एक सरसरी निगाह डालते हुए अंततः टाइपराइटर पर अपनी आंखें स्थिति की और फर क्रमिक रूप से एक पर एक कई मोमबतियों को बडे़ सलीके से उसके सामने सजाना शुरू किया । इस दृश्य को देखकर तंत्र-मंत्र जैसी ही क्रिया का आरंभ है । 

आज की रात सचमुच कापफी रहस्यमय थी और इसी के साथ रहस्यमय बनता जा रहा था वह फ्रलैट  । एक सुनसान फ्रलैट, जहां न किसी का आना न जाना साथ ही पूर्ण् उपेक्षित भी, इस तंत्र-क्रिया के लिए इससे बेहतर और क्या जगह हो सकती हो सकती थी ? अर्थात् आनेवाला व्यक्ति इस फ्रलैट के बारे में पूर्ण जानकारी लेकर आया था या पिफर रखता था ।

आनेवाले शख्स ने जंगल तो नहीं मगर जंगल के एक भाग - इस फ्रलैट में कदम रखते ही यह जरूर सि( कर दिया कि वह यहां पहली बार नहीं आया है अन्यथा टाइपराटर यहां नहीं होता । आते के साथ उसके पास लगे आसन पर उसका बिल्कुल परिचित ढंग से बैठना यह निःशंक स्पष्ट करता था कि एक बार पहले तो वह इसे पहले तो वह इसे यहां पहुंचाने अवश्य ही आया होगा, और जहां तक संगी-साथी या परिचित-विश्वासी आदि से पहुंचवाने की बात है तो उसकी अति सत्तर्कता व गोपनियता इस बात का पूर्ण विखंडन कर रही थी । इन्हीं विखंडनों केे चलते तो वह साया अपने साथ अपनी क्रियाओं के आरंभ से ही जंगल के इस हिस्से को रहस्यमय बनाता चला गया ।

उसने मोमबत्तियों को जलाने का क्रम बंद किया और बीचवाली मोमबती लौ पर अपनी आंखें केंद्रित कर दी । इसी तरह कुछ क्षण एकटक देखने के पश्चात उसने आंखों को बंद कर लिया और ध्यान की मुद्रा में चला गया, जिसमे लौ पर एकटक देखने में लिए समय से ज्यादा समय लगा । उसके पश्चात् उसने आंखें तो उसमें स्पष्ट विवशता नजर आ रही थी । आंखों को मींचने के बाद जो कि इसका सूचक था कि वह अपने प्रयास की विपफलता स्वीकार कर रहा है, उस शख्स ने एक बार पुनः अपनी क्रिया आरंभ की । इस बार फर असफलता मिली और प्रतिक्रिया के भाव पुनः आंखों में ही दृष्टिगोचर हुए जिसमे एक अनचाही निराशा छाई हुई थी । 

इस बार उसने मोमबतियों का क्रम दाएं-बाएं किया तथा मध्यवाली मोमबती को टाइपराइटर के उफपर बीच में रखते हुए उसके टाइप’ पर अपनी अंगुलियां रख दी और एक दृढ़ निश्चय के साथ एक बार फर क्रिया का आरंभ हुआ, जिसमें सफलता की गुंजाइश पिछली बार की अपेक्षा अध्कि नजर आ रही थी । 

आखिर सफलता मिल गई । उसे जिसका इंतजार था, वह आ चुका था । अंगुलियां स्थिर थीं, मगर टाइपिंग आरंभ हो चुकी थी । इसे स्वचालित लेखन कहा जाता है यानि आत्मा आवाहन की एक विशिष्ट प्रक्रिया । उस टाईपराइटर में लगे पन्ने पर शब्द आने शुरू हुए । 

‘आप मेरा अभिवादन स्वीकार करें ।’

अंगुलियों प्रत्युतर के लिए टाइपराइटर पर भागनी शुरू हुईं । 

‘आप मेरे प्रश्न का उतर दें । ’

‘अभिवादन स्वीकार करें ।’

‘इसका तात्पर्य मैं क्या समझूं ?’

‘आपका यथोचित आदर श्रीमान् ।

‘अगर स्वीकार न हो तो ..।’

‘आदर तो आदर है श्री मान् ।’

‘अगर स्वीकार कर लंू तो ..।’

‘आपसे मैत्राी की मंशा है । ’

‘एक इहलोकवासी की परलोकवासी से मित्राता का क्या अर्थ है ।’,

‘एक कुशल मंशा ।’ 

अव्यक्त टाइपिंग के माध्यम से व्यक्त हो रहा था । आनेवाली आत्मा ज्यादा खुश नहीं थी । उसके अंतिम प्रश्न का उत्तर देने के बजाय उस रहस्यमय साए ने उसे सीध्े उपनी ओर मोड़ने की चेष्टा की । 

‘आप अपनी बात कहें ।’

‘आप सर्वप्रथम अपना परिचय दें ।’

‘आप अपने कार्य से मतलब रखें ।’

‘अमूमन मैत्राी के लिए यह जरूरी है ।’

‘इसे आप करना चाहते हैं, मैं नहीं ।’

‘इसके बिना शायद मेरा कार्य संभव नहीं ।’

‘आप जितनी ज्यादा देर मुझे रोकेंगे, मुझे कष्ट होगा ।

‘अपनी ऐसी कोई मंशा नहीं ।’

‘आप अपना कार्य कहिए ।’

‘अगर मित्राता हो जाती तो ..।’

‘अगर आपकी मंशा मुझे कष्ट न देने की है तो अपनी बात कहिए ।’

‘आखिर आप अपनी मनवाकर रहेंगे ।’ - उसने हार मानते हुए भी हार न मानी - ‘..आपकी इच्छा, मगर मित्राता न होने की स्थिति में मैं अपने कार्य के प्रति कितन आश्वस्त रहूं ?’

‘आपकी बातें मुझे संदेह के घेेरे में डाल रही हैं । अगर कार्य गलत न होगा तो बिल्कुल आसान है ।’ - एकदम खरा-खरी बात करने में वह आत्मा भी कम न थी । 

‘और गलत होते हुए भी गलत न हो तो ..।’

‘आप स्पष्ट खुलासा करें ।’

‘आपको समय देना होगा ।’

‘आखिर कितना ..? ’

‘आप विवेक  काम लें और मुझे अपनी बात समझाने का मौका दें । 


@ TO BE CONTINUED @ STORY CONTINUES*


Sunday, 17 April 2022

CHESS 1 BISAAT TRAILOR


CHESS 1 BISAAT TEASOR


CHESS Story BISAAT

*AMIT KUMAR NAYNAN*

CHESS : CHESS is the Most Interesting Mind Game in The World till Date. CHESS Story Series First Story Bisaat has been presented here Right now. We Wish All of You will Enjoy CHESS & BISAAT*

CHESS 1 : BISAAT -- The Ultimate Game

Ajit apne ghar mein baitha TV dekh raha hai. Tabhi Call bell bajti hai. Uske ek haath mein coffee aur dusre haath mein TV ka remote hai. Wo use rakhkar darwaaza kholta hai.

Ajit : Aman ! Tu .......!!

Aman : Kyun ! khushi nai hui ..?

Ajit : Beshaq yaar ! ..chal ander aa.

Ajit Aman ko ghar ke ander aane ka raasta deta welcome karta hai.

AJIT : Mujhe laga ki tu ..

AMAN : Nahi lautega ..videsh chala gaya hoga.

AJIT : Sure

Ajit aur Aman darwaaje se ander sofe par aaraam se baithte hain. Ajit welcome serve karne ke andaaz mein puchhta hai.

AJIT : coffee piega ..banaun !

AMAN : Mujhe jaldi bhagaana chaahta hai.

AJIT : Teri aadat nai gai ..ulta jawaab dene ki.

AMAN : Are ! Ulta jawaab kam se kam jawaab to hota hai ..teri tarah sawaal to nai hota.

Aman sofe par dono ore baahein pasaarta itmeenaan se kahta hai.

AMAN : Aaj fursat mein hun.

AJIT : Aaj chutti hai ..

AMAN : Hamesha ke lie ..

AJIT : Teri naukri ..

AMAN : Ek kaam pakda hai, pura karke hi rahunga

AJIT : Iska matlab teri naukri ..

AMAN : Tu sawaal band karega to main ulta jawaab dena band karunga.

AJIT : le ! maine munh par taala laga liya. apne hi ghar mein gungaa ..

AMAN : kuchh aur baat karein.

Ajit Aman ke baat ka andaaz badalne ke andaaz se usee andaaj mein arthpurn lahje mein puchhta hai.

AJIT : Kuchh khaas ..kisi special kaam se aaya hai. to abhi kah de.

AMAN : Aaj fursat mein tha to chala aaya.

Aman idhar-udhar najrein ghumaata romanchak shailee mein achaanak mano faisla sunaata hai.

AMAN : Aa ! Aaj Chess khelte hain.

AJIT : Game

Ajit uske apratyaashit mood par muskura deta hai. Use lagta hai jaise fursat ke kshanon mein isse achcha doston ke beech do-do haath ka isse behtar samay aur tareeka kam se kam is samay koi aur nahin 

AMAN : Ek-ek haath ho jaaye

AJIT : ok

Ajit chessboard le aata hai. Phir dono chessboard lekar aamne-saamne baithte hain.


 TO B CONTINUED*

Wednesday, 6 April 2022

CHESS Story SERIES

By Amit Kumar Naynan*


THE ULTIMATE GAME
Amit Kumar Naynan Active again with A New Story, Story Series @ CHESS*
Presenting CHESS Series First Story CHESS : 1 :  THE ULTIMATE GAME*


CHESS
(A New Series)
1
BISAAT

The Ultimate Game

Ajit apne Flat ke mukhya dwaar ke pass baitha coffee pee raha hai. Tabhi call bell ki awaaz sunai deti hai. Wo uthkar darwaaza kholta hai. Saamne Aman khada hai. Uska dost.

Keep reading*
In April 2022 Full Story will release*
To B Continued*

*AMIT KUMAR NAYNAN*

CHESS : CHESS is the Most Interesting Mind Game in The World till Date. CHESS Story Series First Story Bisaat has been presented here Right now. We Wish All of You will Enjoy CHESS & BISAAT*

CHESS 1 : BISAAT -- The Ultimate Game

Ajit apne ghar mein baitha TV dekh raha hai. Tabhi Call bell bajti hai. Uske ek haath mein coffee aur dusre haath mein TV ka remote hai. Wo use rakhkar darwaaza kholta hai.

Ajit : Aman ! Tu .......!!

Aman : Kyun ! khushi nai hui ..?

Ajit : Beshaq yaar ! ..chal ander aa.

Ajit Aman ko ghar ke ander aane ka raasta deta welcome karta hai.

AJIT : Mujhe laga ki tu ..

AMAN : Nahi lautega ..videsh chala gaya hoga.

AJIT : Sure

Ajit aur Aman darwaaje se ander sofe par aaraam se baithte hain. Ajit welcome serve karne ke andaaz mein puchhta hai.

AJIT : coffee piega ..banaun !

AMAN : Mujhe jaldi bhagaana chaahta hai.

AJIT : Teri aadat nai gai ..ulta jawaab dene ki.

AMAN : Are ! Ulta jawaab kam se kam jawaab to hota hai ..teri tarah sawaal to nai hota.

Aman sofe par dono ore baahein pasaarta itmeenaan se kahta hai.

AMAN : Aaj fursat mein hun.

AJIT : Aaj chutti hai ..

AMAN : Hamesha ke lie ..

AJIT : Teri naukri ..

AMAN : Ek kaam pakda hai, pura karke hi rahunga

AJIT : Iska matlab teri naukri ..

AMAN : Tu sawaal band karega to main ulta jawaab dena band karunga.

AJIT : le ! maine munh par taala laga liya. apne hi ghar mein gungaa ..

AMAN : kuchh aur baat karein.

Ajit Aman ke baat ka andaaz badalne ke andaaz se usee andaaj mein arthpurn lahje mein puchhta hai.

AJIT : Kuchh khaas ..kisi special kaam se aaya hai. to abhi kah de.

AMAN : Aaj fursat mein tha to chala aaya.

Aman idhar-udhar najrein ghumaata romanchak shailee mein achaanak mano faisla sunaata hai.

AMAN : Aa ! Aaj Chess khelte hain.

AJIT : Game

Ajit uske apratyaashit mood par muskura deta hai. Use lagta hai jaise fursat ke kshanon mein isse achcha doston ke beech do-do haath ka isse behtar samay aur tareeka kam se kam is samay koi aur nahin 

AMAN : Ek-ek haath ho jaaye

AJIT : ok

Ajit chessboard le aata hai. Phir dono chessboard lekar aamne-saamne baithte hain.

 TO BE CONTINUED*

Tuesday, 29 March 2022

FLAT Story Listing

 A Beautiful Series* By Amit Kumar Naynan*


Coming Soon*

FLAT

FLAT : 1 : A SILENT STORY

FLAT : 2 : *******

FLAT : 3 : *******

FLAT : 4 : *******

FLAT : 5 : *******

FLAT : 6 : *******

FLAT : 7 : *******

YOGA


 



























BEAUTY


Real Natural : BRIDE OF WATERFALL

 


BRIDE OF WATERFALL : No Paint No Sculpture @ A Natural Waterfall : IN Peru*

FLAT Story SERIES*

*A Beautiful Series* By Amit Kumar Naynan*

*Coming Soon*

CONFIRMATION

''AMIT KUMAR NAYNAN'' IS DEDICATED TO SERVE ART FIELD AS FOREVERY & TO PRESENT EVERYTIME NEW TYPE STORY OR STORY FORMAT ALSO AS EVER. SINCE BRAIN HAS UNLIMITED POWER TO CREAT UNLIMITED POSSIBILITIES SO REGULER FORMAT IS UNDERESTIMATE THE BRAIN'S POWER.
AMIT KUMAR NAYNAN IS EXPERIMENTAL WRITER AND KNOWN AS TO PRESENT NEW STORY OR NEW FORMAT SPECIALY AT ART AND WRITING FIELD.
FLAT IS HIS NEXT PRESENTATION ABOUT IT. FLAT IS NOT ONLY SINGLE STORY BUT ALSO A NEW STORY SERIES. + SPECIALY EVERY STORY IS EXPERIMENTAL AND IT IS NOT ONLY ON STORY BASE. EVERY STORY'S PRESENTATION STYLE IS TOTALY DIFFRENT. EVEN IF SOMETHING CLUE IN HEADLINES BUT IT WILL ALL CLEAR WHEN WILL READ ALL CUM FULL STORY. 

FLAT

'FLAT' IS A STORY SERIES. IN MAIN LEAD FLAT OR FLAT TYPE OR AS ONE OR ANY ONE PARTICULAR LOCATION MAINLY LEAD THE STORY, STORY RUNS THROUGH THAT LOCATION OR THAT LOCATION BECOMES THE STORY'S CENTRELINE OR HEADLINE*
ENJOY FLAT STORY S FIRST STORY*

FLAT - A SILENT STORY

 

Saturday, 29 January 2022

SANDHIKAAL

By **Amit Kumar Naynan**


*Sandhikaal @ Colobration Time*


*A Classic Blaster*

@ ONE STORY WITH NO END

ONE STORY WITH VARIOUS END

@ ONE STORY WITH VARIOUS END

ONE STORY WITH NO END

LET'S DECIDE

WHAT WILL BE HAPPEN



"Humne Zamaane Se jid kar jeet haasil Ki ..Hum haar jaate to achcha Tha, ..Magar ..Hamaaree Kismat Mei Jeet Hi Likkhi Thi !"


Coming Soon*