मेरा सौभाग्य है कि मैेंने उस देष में जन्म लिया है जो कला-संस्कृति का देष है, मेरा दुर्भाग्य है कि मैंने उस कालखंड में जन्म लिया है जब इस देष में कला-संस्कृति का अंधकारयुग चल रहा है । कला-संस्कृति के देष में कला कलाकार का अपमान इस हद तक है कि कला में श्रेय लेने का होड़ कला के सौदागरों द्वारा अपने चरम पर है और इसमे मूल कला और कलाकार पहचानना उनकी पहचान बनाए रखना मुष्किल होता जा रहा है । स्थिति यह है कि कला-संस्कृति के देष में कला विलुप्त होती जा रहा है और कला का अंधकारयुग स्थापित होता जा रहा है । \
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