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..धिक्कार है उस विश्व पर जो अपने स्वार्थ के लिए समस्त विश्व को खतरे में डालता है ..
वो विश्व चाहे व्यक्ति चाहे समूह चाहे व्यवस्था किसी भी स्तर पर हो ..
विश्व का अभिप्राय चाहे कुछ भी हो !
अगर इसकी कारगुजारियां नहीं रुकी तो इसका परिणाम वही होगा जो क्रिया के अनुसार कर्म का होता है !
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