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मंतव्य और गंतव्य
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मंतव्य के गंतव्य तक पहुँचने का एक ही मार्ग है,
..अच्छे करम करो ..
..नहीं तो फिर' उलटी-सीधी हरकत उलटे-सीधे रास्ते के अनुसार करम के कर्ज़दार बन' फिर कर्ज़ चुका ..
तब फिर सीधे रास्ते पर आओ ..
तब अपने मंतव्य अपनी मंजिल तक पहुंचो;
..गलत रास्ते से कहीं कोई मंजिल नहीं मिलती ..
मतलब आना और पाना अच्छे करम से ही है !
फिर भटकना कैसा ?
फिर भटकना क्यूं ?
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