Sunday, 28 September 2025

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विविधता में एकता तो समस्त सृजन का सौदर्य है,

मगर

हमारी विविधताओं को हमने विभेदकारी मान रखा है,

इसलिए एक विश्व कई टुकड़ों में बंटा नजर आ रहा है !

और

यह सोच अपने अपने स्तर पर सबकी है

सबों की !

व्यक्ति समूह व्यवस्था से लेकर तमाम स्तर पर

चुंकि

हमारी मानसिकता ही विविधकारी की जगह विभेदकारी है !

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