Sunday, 28 September 2025

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अगर सच कहा जाए तो जिंदगी क्रय-विक्रय के सिद्धान्त पर चलती है,

.. गिव एंड टेक के सिद्धान्त पर चलती है

 बाजारवाद से प्रभावित

.. बाजारू ..

इसका स्वरुप पुरातन से आधुनिक नहीं हुआ,

इसका स्वरुप नैसर्गिक से कृत्रिम हो गया है !

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