Sunday, 20 July 2025
THE GREAT GOD : @ CONDITION APPLY
THE GREAT GOD : THE SITE LINK
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THE GREAT GOD : LIFE IS GREAT
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THE GREAT GOD : THUS IT HAPPENS
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THE GREAT GOD : WHAT A EFFORT
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THE GREAT GOD : THAT'S WHY
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THE GREAT GOD : A CLEAR CALL
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THE GREAT GOD : READY TO GET
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THE GREAT GOD : A+RISING A+IM
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THE GREAT GOD : TRUTH'S FRUIT
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THE GREAT GOD : BRAIN' S BRAINMAPING
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THE GREAT GOD : THE REAL HERO
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THE GREAT GOD : READY TO WAR
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THE GREAT GOD : THE REVISED RULE
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THE GREAT GOD
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THE GREAT GOD : UPCOMMING COLLECTION DATAS
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2017
सारथी/SAARTHEE
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PITA SURYA FALAM
THE GREAT GOD : A CLEAR CALL
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अच्छे लोगों ने
बुरे लोगों के
सुधरने या सुधारने का कोई ठेका नहीं ले रखा है,
सुधर जाओ'
नहीं तो सुधार देंगे !
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THE GREAT GOD : READY TO GET
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मंतव्य और गंतव्य
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मंतव्य के गंतव्य तक पहुँचने का एक ही मार्ग है,
..अच्छे करम करो ..
..नहीं तो फिर' उलटी-सीधी हरकत उलटे-सीधे रास्ते के अनुसार करम के कर्ज़दार बन' फिर कर्ज़ चुका ..
तब फिर सीधे रास्ते पर आओ ..
तब अपने मंतव्य अपनी मंजिल तक पहुंचो;
..गलत रास्ते से कहीं कोई मंजिल नहीं मिलती ..
मतलब आना और पाना अच्छे करम से ही है !
फिर भटकना कैसा ?
फिर भटकना क्यूं ?
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Saturday, 19 July 2025
THE GREAT GOD : A+RISING A+IM
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मशाल और मिसाल
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मशाल और मिसाल का मसला कुछ ऐसा है
कि
मशाल किसी लक्ष्य के लिए उठ खड़ा होना है
तो
मिसाल किसी भी लक्ष्य को उस ऊंचाई तक पहुँचाना है जहां तक आमतौर पर पहुंचना आसान ना हो या फिर इससे पहले कोई वहां तक पहुचा ना हो!
..
मशाल की मिसाल
और
मिसाल की मशाल
.. मशाल की मिसाल दो या मिसाल की मशाल जलाओ ..
अर्थ तो तभी रखता है' जब दोनो सही हों !
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THE GREAT GOD : BRAIN'S BRAINMAPING
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ऐ दुनिया !
फंस गए ना ब्रेन के माइंड गेम में
फंस गए ना दिमाग की चाल में
जिस दिमाग ने तुम्हें चाल दिया उसके पास भी तो तुम्हारे लिए कोई चाल होगी ।
..
दिमाग की सबसे बड़ी चाल होती है,
पहले यह तुमसे वह सबकुछ करवाता है जो तुम चाहते हो,
फिर तुम वो करते हो जो वह चाहता है
..
दिमाग जबतक तुम्हारा गुलाम है तबतक ठीक है,
मगर
जब तुम दिमाग के गुलाम बन जाते हो ठीक नहीं
फिर
सारे फैसले तुम नहीं दिमाग करता है
और
परिणाम पाते हो तुम
..
कर्म
अच्छा-बुरा
सही-गलत
पाप-पुण्य
जो भी !
..
आपका दिमाग आपका ब्रेन-वाश कर देता है !
..
..
आप जब अपने कर्मों की बागडोर अपने हाथ में रखते हैँ, उसके सीधे जिम्मेदार होते हैँ मगर जब किसी और के हाथ में दे देते है। तो जिम्मेदार भले वो हो परिणाम आपके मत्थे मढ़ा जाता है ..
आवश्यक नहीं कि कोई व्यक्ति वगैरह ही आपको रूल करे
आपका दिमाग तक आपका रूलर बन सकता है बन जाता है
फिर
आप आप नहीं रह जाते
हम हम नहीं रह जाते
..
THE GREAT GOD : THE REAL HERO
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🌟मैं मानता हूं कि तुम परमानेंट विश्व का टेम्प्रोरी इलाज हो मगर
टेम्प्ररी विश्व का परमानेंट इलाज होते तो और अच्छा होता !🌟
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मेरे हिसाब से टेम्प्रोरी विश्व का परमानेंट इलाज हूँ !
..
बस देखने का नजरिया है
जैसे
हम और आइना या हम एक- दूसरे को आमने सामने देखते हैँ तो सत्य तो वही रहता है,
मगर
वस्तु स्थिति ब्या करने की शैली विपरीतात्मक या
उलट पुलट हो जाती है,
जैसे
पहलवाले का दाया दूसरे का बायाँ और दूसरे का बायाँ पहलवाले का दाया बन जाता है !
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
मगर
सच कहा जाए तो
मैं ना इस दुनिया का टेम्प्रोरी ना परमानेंट इलाज हूँ, अगर इलाज हूँ तो हंड्रेड परसेंट इलाज हूँ !
मै धर्म-संकट, तुस्टीकरण और समझौता वगैरह जैसी किसी भी चीज पर ..ऐसे किसी भी लू- फाल्ट पर कोई भी बात या काम नहीं करने जा रहा ।
हमने जल्द परिणाम की चाहत में पूर्ण समाधान की जगह विकल्पों पर हमेशा गौर फरमाया,
इन्हीं वैकल्पिक नीतियों ने आज विश्व का यह हाल' सूरत-ए-हाल किया है !
अब कोई विकल्प नहीं
अब जो भी होगा सिर्फ और सिर्फ समाधान होगा !
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THE GREAT GOD : READY TO WAR
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प्रश्न करना शुरु कर दिया है !
आग-सी लग गई है ..जलने को दुनिया तैयार बैठी है जलाने को हम !
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ज्ञानियों ने अपने थिंक टैंक से जो गोला दागा था समय के साथ वो बढ़ता जा रहा था ! वह पहले बम के गोलों में तब्दील हुआ फिर तोप के गोलों में । फिर परमाणु हाइड्रोजन वायरस बम के गोलो में । अब इसका आकार गोल पृथ्वी से बड़ा होनेवाला था । गोल पृथ्वी को गोल करने का इन्होने बंदोबस्त कर लिया था, ज्ञान के गोलचक्कर में दुनिया फंस चुकी थी । एक चूक और सब साफ कुछ भी नहीं माफ़ ! क्या बात है ?
उस वैज्ञानिक ने अपने प्रयोग की सफलता पर कहा - अब मात्र एक वार में दुनिया मिटा सकता हूँ, अहा !
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THE GREAT GOD : THE REVISED RULE
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अगर सारे नियम केवल अच्छे लोगो के लिए हैँ तो फिर उन्हें तोड़ देना ही बेहतर है ..
अच्छे तो अच्छे बुरे लोग भी इन नियमों की दुहाई देकर अच्छे लोगों को एक्शन करने एक्टिव होने से रोके रहते हैँ ..
ऐसे में समुचित रिक्वायर्ड क्रिया नहीं हो पाती ..
क्रिया तो दिखती है कर्म नहीं
गतिविधियाँ दिखाती हैँ मगर परिणाम नहीं ..
क्योंकि
केवल क्रियाओं से कुछ नहीं होता
जिस चीज बात के लिए जो सक्रियता चाहिए वो और उस अनुसार क्रिया और कर्म होने चाहिए ..
अन्यथा
कोशिश दिखेगी कम अधिक कुछ परिणाम भी दिखेंगे मगर समुचित परिणाम नहीं
इसलिए अगर समुचित परिणाम चाहिए तो तमाम धर्म-संकट तुष्टिकरण समझौता वगैरह से परे होकर क्रिया के साथ कर्म की सक्रियता चाहिए !
..
ऐसा पहले कब हुआ
शायद कभी नहीं
कभी ऐसी कोशिशें हुई भी होंगी तो शायद विविध कारणों से परिणाम तक ना पहुँच सकी होंगी
क्योंकि
इसके लिए उनको जितना चाहिए होगा उतना प्राप्त ना हुआ होगा
..
फिर एक बार शुरु करते हैँ
सफर जारी है ..
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THE GREAT GOD : WHAT SHOULD DO
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इस दुनिया ने तो ऐसे ऐसे कर्म किये हैँ कि मन तो कर रहा है कि सारी दुनिया में आग लगा दूँ मगर यहां आग तो पहले से लगी हुई है ..दुनिया ने आग पहले से ही लगाई हुई है ..अपने ही कर्मों की आग में सुलग रही है झुलस रही है । इस आग को तो बुझाना ही पड़ेगा नही तो दुनिया अपनी ही लगाई आग में खुद ही जलकर राख जलकर स्वाहा हो जाएगी ! इस आग को बुझाने के लिए तो फायर्-ब्रिगेड का इंतजाम करना पड़ेगा । मगर सच कहा जाए तो यह आग फायर- ब्रिगेड से भी नहीं बुझनेवाली है । इसके लिए तो कोई और ही उपाय सोचना पड़ेगा ।
आए तो थे दुनिया जलाने मगर यहां तो उल्टा आग बुझाने का काम करना पड़ रहा है । क्या बात है, इस दुनिया ने तो सजा देने का ऑप्शन तक नहीं छोडा है .. उसके कर्म ही उसके लिए सजा बन गए हैँ, ..अपने ही कर्मों से विनाश के कगार पर आ गई है ।
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THE GREAT GOD : A CLEAR DECLEARATION
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' ऐ दुनिया !'
शराफ़ात की जहां तक बात है मुझसे शराफ़ात की उम्मीद मत रखना । तुमने स्वयं कितने कौन-कौन से गुल खिलाये हैँ तुझको सब पता है । तुमने कौन से करम नहीं किये हैँ तुझको पता है !
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Thursday, 17 July 2025
THE GREAT GOD : THE WORDLY WORD
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शब्द+महिमा
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अर्थ की तो यह महिमा है कि बस इतना ही समझ लीजिये' कि व्यर्थ का भी अर्थ होता है ..
इसलिए इस बात को निरर्थक मानिये कि निरर्थक कुछ भी नहीं होता है' निरर्थक का भी सार्थक/कुछ मतलब होता है ..जैसे यहां निरर्थक ने सार्थक रूप में अपना अर्थ निभाया है !
..
निरर्थक ने सार्थक अर्थ निभाया !
इससे यह भी प्रमाणित होता है कि कोई शब्द अपने शब्दार्थ से इतर भी अपनी प्रसांगिकता तय कर सकता है,
इससे यह भी प्रमाणित होता है कि कोई शब्द अपने शब्दार्थ के विपरीत भी अपनी प्रसांगिकता सिद्ध कर सकता है,
बशर्ते' भले
इससे शब्द का मूल भाव ना बाधित होता हो !
..
वर्ड इल्यूसन का यह रोमांचक रूप है !
..
बात निकली है तो बहुत दूर तक जाएगी
अभी तो शब्दों ने हेरा-फेरी शुरु ही की है
आगे-आगे देखिये होता है क्या
--
शब्द जो अपने भाव के साथ चलते थे, अपने शब्दार्थ से इतर चलने लगे' फिर अपने शब्दार्थ से विपरीत चलने लगे ..बस अपने भाव को बरकरार रखा ..
मगर
..जिसका स्वभाव बदल गया वो भाव को कितना बरकरार रख पाएगा' कहना मुश्किल है ..सोचना मुश्किल है ..कहना- सोचना मुश्किल है !
-
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अर्थात् का अर्थ हमेशा अर्थात् नहीं होता अभिप्राय भी होता है !
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THE GREAT GOD : WORD S WORLD
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शब्द की जमात में अर्थ ढूंढते हैँ, व्यर्थ ढूंढ़ते हैँ ..अर्थ तो होते हैँ भाव में भावनाओं में ..क्यों नहीं सत्य ढूंढ़ते हैँ !
तुम उनकी चाल के कहीं मोहरे तो नहीं हो ..तुम उनके खेल के चेहरे तो नहीं हो ..पहचान चेहरे को ..पहचान चाल को ..
तुम मोहरे तो नहीं हो ..उनकी चाल के चेहरे तो नहीं हो !
बिसात बिछ गई है, मोहरे सज गये हैँ ..मोहरों के कहीं सेहरे तो नहीं हो ..उनकी चाल के कहीं चेहरे तो नहीं हो !
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तुमने भी कौन-सा कम गुल खिलाया है
जब भी मिला मौका' हाथ आजमाया है
.. जब भी जहां भी जैसे भी जैसा भी मौका मिला ..
हाथ आजमाया है,
यही आज की माया है !
तुम कौन-सा दूध के धुले हो ..
प्राणी इंसानी चरित्रों के तुम भी तो वही हो !
--
मैदान भले सबके अलग हों,
मगर लक्षण सबके एक हैँ ..
कौन यहां नेक हैँ
एक हैँ सभी चेहरे' सभी स्वयंसिद्ध नेक हैँ ..
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THE GREAT GOD : IN FRONT OF
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..धिक्कार है उस विश्व पर जो अपने स्वार्थ के लिए समस्त विश्व को खतरे में डालता है ..
वो विश्व चाहे व्यक्ति चाहे समूह चाहे व्यवस्था किसी भी स्तर पर हो ..
विश्व का अभिप्राय चाहे कुछ भी हो !
अगर इसकी कारगुजारियां नहीं रुकी तो इसका परिणाम वही होगा जो क्रिया के अनुसार कर्म का होता है !
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Wednesday, 16 July 2025
THE GREAT GOD : THE DUTY RULES
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FROM
TG/THE GOD/THE GREAT GOD
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कर्तव्य के मामले में हम इतने स्वार्थी हो गए हैँ कि इसका भी पृथकवाद कर दिया है ..परिवार' समाज' नागरिक ..फलाँ-फलाँ कर्तव्य ! एक् ही कर्तव्य के कितने रूप कर दिये' और इसके रूप-जाल में फंसकर रह गए !
क्या अच्छाई और सच्चाई से बड़ा कर्तव्य और धर्म है क्या ?
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THE GREAT GOD : UPCOMING COLLECTION DATA
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FROM
TG/THE GOD/THE GREAT GOD
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READING MODE
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कई बार एक ही बात के कई मतलब होते हैँ तो कई बार कई बातों का एक ही मतलब होता है !
अलबत्ता' आमतौर पर तो यह प्रस्तुति और वार्त्ता की शैली है, मगर कई बार इसका उपयोग लोग अपने अनुसार अपने मंतव्य के लिए करते हैँ !
समस्त विश्व ना सिर्फ इससे प्रभावित है बल्कि समस्त इतिहास इन्हीं शाब्दिक तानों-बानो से भरा और पटा हुआ है !
भाषाई जुमलों की यह कहानी यहीं नहीं रुकती है, अपने कई मतलब निकालते कोसों-मीलों नहीं बल्कि सदियों-सहस्त्राब्दियो से भी अधिक तक यात्रा करती है,और करती ही आ रही है !
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ऐसे भाषायी चतुरता ने समाधान कम और समस्या अधिक जन्म दिये हैँ, बल्कि पैदा किये हैँ ..क्योंकि इनके एक बात के कई मतलब और कई बात के एक ही मतलब तो होते ही हैँ, जिससे यह अपना मतलब सिद्ध करते ही रहे हैँ' मतलब तो साधते ही रहते हैँ ..साथ ही इनके अनुसरण करनेवालों अनुचरों में भी उनका यह भाषायी वंशागत गुण आ जाता है, जिसपर वो भी इन मतलबों का भी अपना-अपना मतलब निकालते रहते हैँ!इस प्रकार एक मतलब का कई मतलब निकालते मतलबों का वटवृक्ष तैयार हो जाता है' और इसमें मूल मतलब कहीं खो-सा जाता है !
भाषायी दुनिया का यह सौंदर्य काबिल-ए-तारीफ़ है, भाषायी सौंदर्य का यह बहुरूपया चरित्र काबिल-ए-तारीफ है !
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क्या हमने कभी सोचा है कि इतने सारे मतलबों में मतलब कहीं खो-सा जाता है' क्या परिणाम देता है !
हम परिभाषा खो देते हैँ ! हम जब परिभाषा खोते हैँ तो फिर उपसंहार से भी भटक जाते हैँ ! अगर हमें परिणाम चाहिए तो परिभाषा कायम रखनी होगी !
मूल बात सही हो या गलत वो अपनी जगह पर है, मगर उसके लिए जब कई बात का एक बात और एक बात के कई बात बनाएंगे तो वो उनके लिए आवरण का काम करेगा और वो इसके छदम में छुपने की कोशिश छुपने का काम करेंगे' जो कि वो करते आए हैँ, कर रहे हैँ !
उनकी भाषायी चतुरता के छदम में छिपी भाषायी रणनीति को रोकना होगाऔर फिर बात करनी होगी' साफ-साफ' ..जहां एक बात का एक ही मतलब होता हो ..!
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शब्द के संस्करण जितने सरल और सतही लग रहे हैँ, यह उतने ही प्रबल और सार्थक हैँ ..इनकी जडें जमीन से जुड़ी हुई हैँ ..और इस कदर जुड़ी हुई हैँ कि वो आम जीवन का हिस्सा बन गई हैँ' दिनचर्या बन गई हैँ ..इसलिए पहले हमारी आदत फिर संस्कार बन गई हैँ !
🌟🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
हमारे अस्तित्व से इस कदर घुल मिल गई हैँ चिपक गई हैँ कि हम अपने मुलभूत अस्तित्व और इसमें अंतर नहीं कर पाते ..अंतर ..अंतर का अर्थ विभेद नहीं प्रकार होता है ..मतलब स्वयं का और इनका प्रकारान्तर नहीं समझ पाते !
ऐसी समझ मारी जाती है कि समझ नहीं पाते ..मूल और मिश्रण .. सत्य और असत्य .. सही और गलत .. का फ़र्क़ !
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
हमारे कर्म का गणित हमारे दिमाग के बीजगणित से अधिक मजबूत होता है, हम चाहे जितना भी दिमाग लगा लें' हम चाहे जितना भी दिमाग लड़ा लें' हम चाहे कितने भी समीकरण कैसे भी फिट कर लें, कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता ..फाइनली' दिमाग के गणित पर कर्म का गणित भारी पड़ता ही है !
.. कर्म के कीर्तिमान के आगे अच्छे-अच्छे कीर्तिमान ..तुच्छ पड़ जाते हैँ ! ध्वस्त हो जाते हैँ !
कर्म का कीर्तिमान जब योग्यता के माइलस्टोन से मिलता है, तब सबसे सुखद शाश्वत परिणाम को जन्म देता है !
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
🌟'A SPECIES IS A SELFMADE VERSION OF NATURE AND HUMAN IS PART OF IT !'🌟
ONLY
'PART !'
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🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
अपने ही बनाये मूल्यों के लिए सबकुछ कर गुजरना ..फिर एक दिन अपने ही बनाये मूल्यों का विरोध करना ..कितना मुश्किल होता है, समझा जा सकता है !
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
इंसान
अपने कारनामो, करतूतों, कारिस्तानियों का सेल्फमेड वर्सन है !
किसी भी कीमत पर स्वयं को सही ठहराने की जिद और किसी भी कीमत पर जीत ने उसे इस हाल में पहुँचाया है
इंसान अपने कारनामो के लिए स्वयं को सही और गलतियों के लिए दूसरों को गलत ठहराता है !
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
🌟इस दुनिया में .. 'कई' .. 'पहुंचे हुए फ़कीर' हैँ, इन्होने इस दुनिया में आग-सी लगाई हुई है ..भिखारी का भेष धरे ये अपनी चाल में माहिर हैँ ..शातिर हैँ ! 'भिखारी' का भेष धरे ये 'लुटेरे' अपने फन में माहिर हैँ, इनके फन साँप के फन से अधिक विषैले और नागफनी के पौधों से अधिक कंटकमय हैँ !🌟
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
🌟 हमने तो बिसात बिछाई थी' तुमने तो मैदान-ए-जंग ही सजा दिया !
.. खेल के मैदान से मैदान-ए-जंग का अंदाज भी खूब रहा ..
प्ले-ग्राउंड से बैटल-फील्ड का अंदाज भी खूब रहा ! 🌟
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
🌟हमने जो बिसात बिछाई है, उससे दुनिया जल तो जाएगी ना !
'हां !'
हम जो कर रहे हैँ उसका खामियाजा सारे विश्व को भुगतना तो पड़ेगा ना !
'हां !'
हमने जो किसी भी कीमत पर जीतने की कसम खाई है, उसका फल सबको खाना तो पड़ेगा ना !
'हां !'
..
तो फिर देर किस बात की है ..जला दो दुनिया, मिटा दो दुनिया ..
किस बात का धर्म संकट है !
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
..सोच रहे हो, गलत कर भी स्वयं को सही कैसे सिद्ध किया जाए ..
बुद्धिमान हो ।
कुछ भी कर' किसी भी' कीमत पर खुद को सही कैसे सिद्ध किया जाए
बुद्धिजीवियों की सबसे बड़ी चाल
जिसका कोई जवाब नहीं
क्योंकि जवाब तो बुद्धिजीवियों के पास ही होते हैँ'
इसलिए तो
बुद्धिजीवी कहलाते हैँ
इंटेलेक्चुअल गेम इंटेलेक्चुअल क्राइम
मास्टर प्लान मास्टर माइंड मास्टर गेम
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
🌟 *एक-एक कर सबको देख लिया जाएगा ! विश्व सबकी विरासत है, इसे केवल कुछ लोगो के भरोसे नहीं छोड़ सकते !हमे जिम्मेदारी उठानी होगी ।। अगर हमारे पूर्वजों ने जिम्मेदारी नही उठाई होती, आज यह दुनिया हम जी नही रहे होते ! हमारी जिम्मेदारिया हमारी सोच से कहीं अधिक बड़ी हैँ ।।* 🌟
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
THE GREAT GOD : OUR UNDERSTANDING RANGE
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
🌟"अगर हम किसी बात को नहीं समझ पा रहे हैँ तो या तो हमारे अंदर उसे स्वीकारने की स्वीकार्यता नहीं है या हमारी समझ से बाहर की वो बात है !"🌟
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
THE GREAT GOD : THE BRAIN TRICK
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
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बुद्धिजीवियों ने इस दुनिया का मेन्टल-बैलेंस बिगाड़कर रख दिया है, इतना दिमाग लगा दिया है कि इसको सुधारने में दिमाग के तरकस के सारे तीर ख़त्म हो गए हैँ ..वो इन्हीं के तो माहिर हैँ ..
इनका इलाज दिमाग नहीं दिल के दरवाजों में है !
इसके लिए खुले दिमाग से अधिक खुले दिलवाला चाहिए ।।
Tuesday, 15 July 2025
THE GREAT GOD : UPCOMING COLLECTION DATAS
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
FROM
TG/THE GOD/THE GREAT GOD
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
कई बार एक ही बात के कई मतलब होते हैँ
तो
कई बार कई बातों का एक ही मतलब होता है !
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
अलबत्ता'
आमतौर पर तो यह प्रस्तुति और वार्त्ता की शैली है,
मगर
कई बार इसका उपयोग लोग अपने अनुसार अपने मंतव्य के लिए करते हैँ !
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
समस्त विश्व ना सिर्फ इससे प्रभावित है
बल्कि
समस्त इतिहास इन्हीं शाब्दिक तानों-बानो से भरा और पटा हुआ है !
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
भाषाई जुमलों की यह कहानी यहीं नहीं रुकती है,
अपने कई मतलब निकालते कोसों-मीलों नहीं बल्कि सदियों- सहस्त्राब्दियो से भी अधिक तक यात्रा करती है,
और करती ही आ रही है !
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
ऐसे भाषायी चतुरता ने समाधान कम और समस्या अधिक जन्म दिये हैँ, बल्कि पैदा किये हैँ ..
क्योंकि
इनके एक बात के कई मतलब और कई बात के एक ही मतलब तो होते ही हैँ,
जिससे यह अपना मतलब सिद्ध करते ही रहे हैँ'
मतलब तो साधते ही रहते हैँ ..
साथ ही
इनके अनुसरण करनेवालों अनुचरों में भी उनका यह भाषायी वंशागत गुण आ जाता है,
जिसपर वो भी इन मतलबों का भी अपना-अपना मतलब निकालते रहते हैँ !
..
इस प्रकार एक मतलब का कई मतलब निकालते मतलबों का वटवृक्ष तैयार हो जाता है'
और
इसमें मूल मतलब कहीं खो-सा जाता है !
..
भाषायी दुनिया का यह सौंदर्य काबिल-ए-तारीफ़ है,
भाषायी सौंदर्य का यह बहुरूपया चरित्र काबिल-ए-तारीफ है !
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
क्या हमने कभी सोचा है कि इतने सारे मतलबों में मतलब कहीं खो-सा जाता है'
क्या परिणाम देता है !
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
हम परिभाषा खो देते हैँ !
..
हम जब परिभाषा खोते हैँ तो फिर उपसंहार से भी भटक जाते हैँ !
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
अगर हमें परिणाम चाहिए तो परिभाषा कायम रखनी होगी !
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
मूल बात सही हो या गलत वो अपनी जगह पर है,
मगर उसके लिए जब कई बात का एक बात और एक बात के कई बात बनाएंगे
तो
वो उनके लिए आवरण का काम करेगा और वो इसके छदम में छुपने की कोशिश छुपने का काम करेंगे'
जो कि वो करते आए हैँ
कर रहे हैँ
..
उनकी भाषायी चतुरता के छदम में छिपी भाषायी रणनीति को रोकना होगा
और
फिर बात करनी होगी
'साफ-साफ'
..
..जहां एक बात का एक ही मतलब होता हो ..!
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🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
शब्द के संस्करण जितने सरल और सतही लग रहे हैँ, यह उतने ही प्रबल और सार्थक हैँ ..
इनकी जडें जमीन से जुड़ी हुई हैँ ..
और इस कदर जुड़ी हुई हैँ कि वो आम जीवन का हिस्सा बन गई हैँ' दिनचर्या बन गई हैँ ..
इसलिए
पहले हमारी आदत फिर संस्कार बन गई हैँ !
🌟🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
हमारे अस्तित्व से इस कदर घुल मिल गई हैँ चिपक गई हैँ कि हम अपने मुलभूत अस्तित्व और इसमें अंतर नहीं कर पाते ..
अंतर
अंतर का अर्थ विवेध नहीं प्रकार होता है ..
मतलब
स्वयं का और इनका प्रकारन्तर नहीं समझ पाते !
..
ऐसी समझ मारी जाती है कि समझ नहीं पाते ..
मूल और मिश्रण
सत्य और असत्य
सही और गलत
का
फ़र्क़ !
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हमारे कर्म का गणित हमारे दिमाग के बीजगणित से अधिक मजबूत होता है,
..
हम चाहे जितना भी दिमाग लगा लें
हम चाहे जितना भी दिमाग लड़ा लें
हम चाहे कितने भी समीकरण कैसे भी फिट कर लें, कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता ..
फाइनली
दिमाग के गणित पर कर्म का गणित भारी पड़ता ही है !
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
.. कर्म के कीर्तिमान के आगे अच्छे-अच्छे कीर्तिमान ..
तुच्छ पड़ जाते हैँ !
ध्वस्त हो जाते हैँ !
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
कर्म का कीर्तिमान जब योग्यता के माइलस्टोन से जब मिलता है, तब सबसे सुखद शाश्वत परिणाम को जन्म देता है !
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🌟'A SPECIES IS A SELFMADE VERSION OF NATURE AND HUMAN IS PART OF IT !'🌟
ONLY
'PART !'
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अपने ही बनाये मूल्यों के लिए सबकुछ कर गुजरना ..फिर एक दिन अपने ही बनाये मूल्यों का विरोध करना ..
कितना मुश्किल होता है, समझा जा सकता है !
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इंसान
अपने कारनामो, करतूतों, कारिस्तानियों का सेल्फमेड वर्सन है !
..
किसी भी कीमत पर स्वयं को सही ठहराने की जिद और किसी भी कीमत पर जीत ने उसे इस हाल में पहुँचाया है
..
इंसान अपने कारनामो के लिए स्वयं को सही और गलतियों के लिए दूसरों को गलत ठहराता है !
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🌟 इस दुनिया में .. 'कई' .. 'पहुंचे हुए फ़कीर' हैँ, इन्होने इस दुनिया में आग-सी लगाई हुई है ..
भिखारी का भेष धरे ये अपनी चाल में माहिर हैँ ..शातिर हैँ !
..
'भिखारी' का भेष धरे ये 'लुटेरे' अपने फन में माहिर हैँ,
इनके फन साँप के फन से अधिक विषैले और नागफनी के पौधों से अधिक कंटकमय हैँ !
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🌟 हमने तो बिसात बिछाई थी' तुमने तो मैदान-ए-जंग ही सजा दिया !
.. खेल के मैदान से मैदान-ए-जंग का अंदाज भी खूब रहा ..
प्ले-ग्राउंड से बैटल-फील्ड का अंदाज भी खूब रहा ! 🌟
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
🌟हमने जो बिसात बिछाई है, उससे दुनिया जल तो जाएगी ना !
'हां !'
हम जो कर रहे हैँ उसका खामियाजा सारे विश्व को भुगतना तो पड़ेगा ना !
'हां !'
हमने जो किसी भी कीमत पर जीतने की कसम खाई है, उसका फल सबको खाना तो पड़ेगा ना !
'हां !'
..
तो फिर देर किस बात की है ..जला दो दुनिया, मिटा दो दुनिया ..
किस बात का धर्म संकट है !
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..सोच रहे हो, गलत कर भी स्वयं को सही कैसे सिद्ध किया जाए ..
बुद्धिमान हो ।
कुछ भी कर' किसी भी' कीमत पर खुद को सही कैसे सिद्ध किया जाए
बुद्धिजीवियों की सबसे बड़ी चाल
जिसका कोई जवाब नहीं
क्योंकि जवाब तो बुद्धिजीवियों के पास ही होते हैँ'
इसलिए तो
बुद्धिजीवी कहलाते हैँ
इंटेलेक्चुअल गेम इंटेलेक्चुअल क्राइम
मास्टर प्लान मास्टर माइंड मास्टर गेम
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🌟 *एक-एक कर सबको देख लिया जाएगा !
विश्व सबकी विरासत है, इसे केवल कुछ लोगो के भरोसे नहीं छोड़ सकते !
हमे जिम्मेदारी उठानी होगी ।।
अगर हमारे पूर्वजों ने जिम्मेदारी नही उठाई होती, आज यह दुनिया हम जी नही रहे होते !
हमारी जिम्मेदारिया हमारी सोच से कहीं अधिक बड़ी हैँ ।।* 🌟
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THE GREAT GOD : BRAIN & DUTY
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FROM
TG/THE GOD/THE GREAT GOD
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
हमारे कर्म का गणित हमारे दिमाग के बीजगणित से अधिक मजबूत होता है,
..
हम चाहे जितना भी दिमाग लगा लें
हम चाहे जितना भी दिमाग लड़ा लें
हम चाहे कितने भी समीकरण कैसे भी फिट कर लें, कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता ..
फाइनली
दिमाग के गणित पर कर्म का गणित भारी पड़ता ही है !
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
.. कर्म के कीर्तिमान के आगे अच्छे-अच्छे कीर्तिमान ..
तुच्छ पड़ जाते हैँ !
ध्वस्त हो जाते हैँ !
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
कर्म का कीर्तिमान जब योग्यता के माइलस्टोन से मिलता है, तब सबसे सुखद शाश्वत परिणाम को जन्म देता है !
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THE GREAT GOD : THE WORD FILTER
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FROM
TG/THE GOD/THE GREAT GOD
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शब्द के संस्करण जितने सरल और सतही लग रहे हैँ, यह उतने ही प्रबल और सार्थक हैँ ..
इनकी जडें जमीन से जुड़ी हुई हैँ ..
और इस कदर जुड़ी हुई हैँ कि वो आम जीवन का हिस्सा बन गई हैँ' दिनचर्या बन गई हैँ ..
इसलिए
पहले हमारी आदत फिर संस्कार बन गई हैँ !
🌟🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
हमारे अस्तित्व से इस कदर घुल मिल गई हैँ चिपक गई हैँ कि हम अपने मुलभूत अस्तित्व और इसमें अंतर नहीं कर पाते ..
अंतर
अंतर का अर्थ विवेध नहीं प्रकार होता है ..
मतलब
स्वयं का और इनका प्रकारन्तर नहीं समझ पाते !
..
ऐसी समझ मारी जाती है कि समझ नहीं पाते ..
मूल और मिश्रण
सत्य और असत्य
सही और गलत
का
फ़र्क़ !
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
THE GREAT GOD : ALL WILL REMAIN
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BEHIND THE SCENE
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हमने तो जीवन में ऐसा गणित ही लगाया है कि प्रमाण सामने है !
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हमने तो जीवन में ऐसा गणित ही लगाया है कि परिणाम सामने है !
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Monday, 14 July 2025
THE GREAT GOD : THE COUNTDOWN STARTS
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FROM
TG/THE GOD/THE GREAT GOD
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
🌟 *एक-एक कर सबको देख लिया जाएगा !
विश्व सबकी विरासत है, इसे केवल कुछ लोगो के भरोसे नहीं छोड़ सकते !
हमे जिम्मेदारी उठानी होगी ।।
अगर हमारे पूर्वजों ने जिम्मेदारी नही उठाई होती, आज यह दुनिया हम जी नही रहे होते !
हमारी जिम्मेदारिया हमारी सोच से कहीं अधिक बड़ी हैँ ।।* 🌟
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THE GREAT GOD : A SELF BATTLE
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
FROM
TG/THE GOD/THE GREAD GOD
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
🌟🌟🌟🕉️🌟🌟🌟
अपने ही बनाये मूल्यों के लिए सबकुछ कर गुजरना ..फिर एक दिन अपने ही बनाये मूल्यों का विरोध करना ..
कितना मुश्किल होता है, समझा जा सकता है !
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THE GREAT GOD : THE SELFMADE VERSION
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FROM
TG/THE GOD/THE GREAT GOD
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इंसान
अपने कारनामो, करतूतों, कारिस्तानियों का सेल्फमेड वर्सन है !
..
किसी भी कीमत पर स्वयं को सही ठहराने की जिद और किसी भी कीमत पर जीत ने उसे इस हाल में पहुँचाया है
..
इंसान अपने कारनामो के लिए स्वयं को सही और गलतियों के लिए दूसरों को गलत ठहराता है !
..
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THE GREAT GOD : A SILENT TRUTH
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FROM
TG/THE GOD/THE GREAT GOD
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कई बार एक ही बात के कई मतलब होते हैँ
तो
कई बार कई बातों का एक ही मतलब होता है !
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अलबत्ता'
आमतौर पर तो यह प्रस्तुति और वार्त्ता की शैली है,
मगर
कई बार इसका उपयोग लोग अपने अनुसार अपने मंतव्य के लिए करते हैँ !
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समस्त विश्व ना सिर्फ इससे प्रभावित है
बल्कि
समस्त इतिहास इन्हीं शाब्दिक तानों-बानो से भरा और पटा हुआ है !
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भाषाई जुमलों की यह कहानी यहीं नहीं रुकती है,
अपने कई मतलब निकालते कोसों-मीलों नहीं बल्कि सदियों- सहस्त्राब्दियो से भी अधिक तक यात्रा करती है,
और करती ही आ रही है !
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ऐसे भाषायी चतुरता ने समाधान कम और समस्या अधिक जन्म दिये हैँ, बल्कि पैदा किये हैँ ..
क्योंकि
इनके एक बात के कई मतलब और कई बात के एक ही मतलब तो होते ही हैँ,
जिससे यह अपना मतलब सिद्ध करते ही रहे हैँ'
मतलब तो साधते ही रहते हैँ ..
साथ ही
इनके अनुसरण करनेवालों अनुचरों में भी उनका यह भाषायी वंशागत गुण आ जाता है,
जिसपर वो भी इन मतलबों का भी अपना-अपना मतलब निकालते रहते हैँ !
..
इस प्रकार एक मतलब का कई मतलब निकालते मतलबों का वटवृक्ष तैयार हो जाता है'
और
इसमें मूल मतलब कहीं खो-सा जाता है !
..
भाषायी दुनिया का यह सौंदर्य काबिल-ए-तारीफ़ है,
भाषायी सौंदर्य का यह बहुरूपया चरित्र काबिल-ए-तारीफ है !
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क्या हमने कभी सोचा है कि इतने सारे मतलबों में मतलब कहीं खो-सा जाता है'
क्या परिणाम देता है !
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हम परिभाषा खो देते हैँ !
..
हम जब परिभाषा खोते हैँ तो फिर उपसंहार से भी भटक जाते हैँ !
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अगर हमें परिणाम चाहिए तो परिभाषा कायम रखनी होगी !
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मूल बात सही हो या गलत वो अपनी जगह पर है,
मगर उसके लिए जब कई बात का एक बात और एक बात के कई बात बनाएंगे
तो
वो उनके लिए आवरण का काम करेगा और वो इसके छदम में छुपने की कोशिश छुपने का काम करेंगे'
जो कि वो करते आए हैँ
कर रहे हैँ
..
उनकी भाषायी चतुरता के छदम में छिपी भाषायी रणनीति को रोकना होगा
और
फिर बात करनी होगी
'साफ-साफ'
..
..जहां एक बात का एक ही मतलब होता हो ..!
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